जैनी का पति जाता है
दूर -दूर तक जाता है
लहरों से वह लडता है
रोज रोज वह लड़ता है
जैनी का पति जाता है
रोज -रोज वह जाता है
सुबह सबेरे जाता है
रात बीत के आता है
मछली पकड़ने जाता है
बच्चे सब सो जाते है
जैनी अकेली रहती है
झोम्पडीमें ही रहती है
सोच सोच के रहती है
रोज रोज ही रहती है
पी .विनोद कुमार
हिंदी अध्यापक
जी .जी.वी .एच .एस .एस नेम्मारा